आत्मा अमर है
घडी एक पल भी विराम नहीं लेती और अपनी टिक-टिक की ध्वनि से प्रत्येक मानव को प्रति पल समय के व्यतीत होने तथा सजग होने की चेतना बनी रहती है। घडी हमें शिक्षा देती है कि समय का एक-एक पल बीतता जा रहा है, इसे व्यर्थ न जाने दो, इसका सही-सही उपोग करो, भले ही आत्मा अमर है किंतु यह मानव शरीर अमर नहीं है, कभी यह नष्ट हो सकता कोई व्यक्ति हास-परिहास में निमग्न है किन्तु क्षणभर में वह जमीन पर लुढ़क जाता है और उसकी आत्म इस देह से कूच कर जाती है।
The clock does not take a break even for a moment and with the sound of its ticking every human remains aware of the passing of time and being alert every moment. The clock teaches us that every moment of time is passing, do not let it go in vain, use it properly, even though the soul is immortal but this human body is not immortal, sometimes it can destroy a person. He is engrossed in laughter but in a moment he rolls on the ground and his soul leaves this body.
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व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...