स्वादेंद्रिया
आज हममें से अधिकांश लोग स्वादेंद्रिया एवं पेट को ही तृप्त करने के लिए भोजन किया करते हैं। क्या खाना चाहिए और की नहीं; इसका विचार नहीं करते। भोजन का महत्व स्वाद की दृष्टि से नहीं, उन तत्वों की दृष्टि से आँका जाना चाहिए, जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक एवं उपयोगी हों। तत्वहीन अनुपयुक्त भोजन शरीर में जाकर विकार उत्पन्न करता है; जिससे स्वास्थ्य का अहित होता है।
Today most of us eat food only to satisfy the taste buds and stomach. what should be eaten and what not; Don't think about it. The importance of food should not be judged from the point of view of taste, but from the point of view of those elements, which are necessary and useful for the health of the body. Unsuitable food without element causes disorder in the body; Which harms health.
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व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...