अतिमानस
यह समझ लेना आवश्यक है कि जब तक हम शरीर, मन व बुद्धि के तल पर, स्तर पर ही जी रहे हैं, हमारा रूपांतरण संभव नहीं। अपने भीतर यह ऐक्य घटित होने देने के लिए, उसकी अनुभूति होने देने के लिए हमें अपने भीतर पूर्ण रूपांतरण घटित होने ही देना होगा। हमें अपनी अहंता, ममता, आसक्ति, वासना आदि को मिटना ही होगा, पर ऐसा होगा कैसे? इसके लिए हमें शरीर, मन व बुद्धि के स्तर से ऊपर उठना होगा। मन के स्तर से ऊपर उठ जाने को ही श्री अरविंद ने अतिमानस कहा है। मनुष्य के अंदर जब तक उस 'अतिमानस' सत्ता का आविर्भाव नहीं हो जाता, तब तक मानव जीवन को दिव्य रूप रूपांतरित करना संभव नहीं। मन-बुद्धि की शक्ति से मनुष्य भला कितना ऊपर उठ सकता है ?
It is necessary to understand that as long as we are living on the plane of body, mind and intellect, on the level itself, our transformation is not possible. To allow this union to happen within us, to be felt, we must allow a complete transformation to happen within us. We have to eradicate our ego, affection, attachment, lust etc., but how will this happen? For this we have to rise above the level of body, mind and intellect. Sri Aurobindo has called the supermind to rise above the level of the mind. It is not possible to transform human life into a divine form until that 'Supermind' being appears in man. How high can a man rise by the power of the mind and intellect?
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रिश्ते इंसानी वजूद के लिए रिश्ते आज भी बेहद जरूरी हैं पर उन्हें बहुत लचीला होना पड़ेगा। पति-पत्नी के रिश्ते को भी, बहू-बेटी के रिश्ते को भी, दोस्ती के रिश्ते को भी। अन्य को तो है ही। कोई गुलामी के लिए तैयार नहीं है और हो भी क्यों? जितना खींचेंगे, उतना टूटेंगे। बेहतर है, डोरी अपने हाथों से गिर जाने दें, तभी यह...
व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...