आंतरिक शुद्धि
एक कहावत है -'जहाँ कूड़ा, वहां कीड़ा। कूड़ा नहीं तो कीड़ा नहीं।' अतः हम हमारे शरीर को भीतर से विजातीय तत्वों से मुक्त कर, अपनी जीवनशक्ति को सशक्त कर स्वस्थ रहें यही है - प्राकृतिक चिकित्सा। इस धरती दो तरह के उपचार हैं - एक है बाहर से साधनों को जुटाकर शरीर की रक्षा करना जैसे-औषधियाँ, जड़ी-बूटी, रस, अर्क, टीका, एंटीबायोटिक दवाइयाँ आदि के प्रयोग से स्वास्थ्य की रक्षा करना और दूसरा तरीका प्राकृतिक चिकित्सा का है, जिसमें शरीर की आंतरिक शुद्धि कर रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाना है।
There is a saying - 'Where there is garbage, there is a worm. If there is no garbage, then there is no worm.' Therefore, we should be healthy by freeing our body from the foreign elements from within, by empowering our vitality, this is Naturopathy. There are two types of remedies on this earth - one is to protect the body by mobilizing resources from outside, such as using medicines, herbs, juices, extracts, vaccines, antibiotics etc. to protect health and the other way is of natural medicine. In which the internal purification of the body is to increase the immunity power.
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व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...