युग निर्माण
कुरीतियों को अब तोडना ही होगा - युग निर्माण के लिए ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है, जो जन्मजात रूप से आवश्यक आत्मबल लेकर आए हों। शिक्षा और उपदेशों से सुधार तो होता है, पर यदि व्यक्ति जन्मजात रूप से हीन संस्कार अपने साथ लाया है तो उस पर सुधार, शिक्षा का बहुत थोड़ा असर होगा। प्रबुद्ध व्यक्तियों का निर्माण माता-पिता के सुसंस्कार से होता है। अर्जुन और सुभद्रा के उच्च गुणों से तथा गर्भकाल में समुचित शिक्षण प्राप्त करने से अभिमन्यु ऐसे संस्कार लेकर जन्मा था की सोलह वर्ष की आयु में ही चक्रव्यूह वेधन जैसे कठिन कार्य के लिए कटिबद्ध हो सका।
The evils have to be broken now - for the creation of the era, such persons are needed, who have innately brought the necessary self-power. There is improvement through education and teachings, but if a person has brought with him inferior culture by birth, then there will be little effect of improvement, education on him. Enlightened persons are formed by the good values of parents. Due to the high qualities of Arjuna and Subhadra and receiving proper education during pregnancy, Abhimanyu was born with such sanskars that at the age of sixteen he could commit himself to a difficult task like piercing the Chakravyuh.
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व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...