बच्चे के संरक्षक
छोटे बच्चे जब घुटनों के बल चलते और पेट के बल रेंगने लगते हैं, तब उनमें एक नई आदत उभरती है कि जो कुछ चमकदार, आकर्षक वस्तु दिखें, उसे खाने की वस्तु समझकर मुँह में डालने का प्रयत्न करते हैं। देखा गया है कि वे पकड़ने, खींचने के कौतुक में कई बार बहुमूल्य वस्तुओं को भी गिरा देते हैं। खाने की ललक में चींटे, कीड़े, तिनके, कील, काँटे आदि में मुँह में रख लेते हैं। यदि उस आयु में बच्चों पर कड़ाई के साथ निगरानी न राखी जाए तो कुछ भी अनर्थ कर सकते हैं। सीढ़ियों से उतरने का प्रयास करते हुए लुढ़कर निचे गिर सकते हैं। ऐसी दुर्घटना होने पर दोष बच्चों को नहीं दिया जाता, वरन संरक्षक को ही बुरा-भला कहा जाता है।
When young children start crawling on their knees and crawling on their stomachs, then a new habit emerges in them that they try to put in the mouth whatever shiny, attractive thing they see as an object of food. It has been seen that in the prodigy of catching, pulling, sometimes they even drop valuable things. In the urge to eat, they keep ants, insects, straws, nails, thorns etc. in their mouth. If children are not strictly monitored at that age, then anything can go wrong. Trying to get down the stairs, you can roll over and fall down. In the event of such an accident, the blame is not given to the children, but the guardian is said to be evil.
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रिश्ते इंसानी वजूद के लिए रिश्ते आज भी बेहद जरूरी हैं पर उन्हें बहुत लचीला होना पड़ेगा। पति-पत्नी के रिश्ते को भी, बहू-बेटी के रिश्ते को भी, दोस्ती के रिश्ते को भी। अन्य को तो है ही। कोई गुलामी के लिए तैयार नहीं है और हो भी क्यों? जितना खींचेंगे, उतना टूटेंगे। बेहतर है, डोरी अपने हाथों से गिर जाने दें, तभी यह...
व्यर्थ आडम्बर का कोई लाभ नहीं एक बार की बात है कि किसी सेठ ने मन्दिर बनवाने के लिए स्वामी दयानन्द की सम्मति माँगी। स्वामी दयानन्द ने गम्भीर तथा निडर होकर उत्तर दिया - सेठ जी, प्राणिमात्र का कल्याण करने वाले किसी अन्य परोपकारी कार्य में धन लगाओ। जड़ की पूजा के स्थान इस मन्दिर को बनाने से कोई लाभ नही। स्वामी जी महाराज के...
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ सभी छह ऋतुएं उपलब्ध हैं। परन्तु सातवीं एक और ऋतु है नारों की। हाँ! यहाँ नारों की भी एक ऋतु होती है, जिसमें कोई एक नारा चल निकलता है और ऋतु समाप्ति पर अपने आप समाप्त हो जाता है, कोई किसी से दुबारा उन नारों के लिए प्रश्न नहीं पूछता। गरीबी हटाओ भी इस देश का नारा था,...