मनोरथ
मानव चाहे कितने ही मनोरथ रखता हो, उनका जोड़तोड़ करता हुआ व्यक्ति कितने ही संकल्पों को सदा के लिए त्याग करने को बाध्य हो जाता है कहने का तात्पर्य है कि मृत्यु मनुष्य को एक पल भी अवकाश नहीं देती है। उसे अपनी अथाह सम्पत्ति और अनेकानेक स्वजनों को छोड़कर काल एक एक संकेत मात्र से चल देना पड़ता है, अतएव प्रत्येक प्राणी को अपनी जीवन की तथा उसकी नश्वरता को समझ कर समय से पूर्व ही सचेत हो जाना चाहिए।
No matter how many desires a human has, manipulating them, a person becomes bound to sacrifice many resolutions forever. It means to say that death does not give man a break even for a moment. He has to leave his immense wealth and many relatives and pass the time with just one signal, so every living being should understand his life and his impermanence and become conscious before time.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...