आनंद का मार्ग
पशु-पक्षी आदि योनियों में रहते हुए जीव सिर्फ शरीर के बारे में ही सोच सकता है और शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है, पर मनुष्य योनि में रहते हुए हम मात्र शरीर के बारे में नहीं, शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति मात्र के बारे में ही नहीं, बल्कि शरीर में आत्मा के रूप में प्रतिष्ठित परमात्मा के बारे में भी सोच सकते हैं। हम विचार कर सकते हैं, चिंतन-मनन कर सकते हैं, ध्यान कर सकते हैं, योग कर सकते हैं और अपनी मुक्ति और आनंद का मार्ग भी प्रशस्त कर सकते हैं।
Living in species like animals, birds etc., the living being can think only about the body and fulfill the physical needs, but living in the human vagina, we are not only about the body, but only about the fulfillment of bodily needs. No, but one can also think of the divine revered as soul in the body. We can meditate, meditate, meditate, do yoga, and we can also pave the way for our liberation and bliss.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...