रिश्तों की मिठास
अकेले और संयुक्त परिवार से अलग रहने में अनेकों नुकसान सामने आते हैं। सबसे पहले अपने परिजनो के संबंध ही भूल जाते हैं। न काका-काकी, न दादा-दादी, न बुआ जी न भाई जी, न दीदी, न भैया सभी बिसर जाते हैं। सब कट जाते और हम दो- हमारे दो में सभी सम्बंधी की तिलांजलि हो जाती है। संबंधों के स्मरण नहीं, विस्मरण का क्रम चलने लगता है। परिवार का आधार संवेदना है। संवेदनशील भावनाओं की डोर से रिश्तों की मिठास एवं मधुरता बनी-बुनी रहती है। संयुक्त परिवार में रिश्तों की यह मधुरता अधिक व्यापक होती है। इससे परिवार के सदस्यों का श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण एवं विकास होता है। व्यक्तित्व के गुण नैसर्गिक रूप से विकसित होते हैं।
There are many disadvantages in living alone and apart from joint family. First of all, forget about your family members. Neither uncle-uncle, nor grandparents, nor aunt, nor brother, nor sister, nor brother, all go away. Everyone gets cut off and we two - in our two all the relatives get abandoned. There is no remembrance of relationships, the process of forgetting starts going on. The basis of family is compassion. The sweetness and sweetness of relationships are maintained by the strings of sensitive feelings. This sweetness of relationships is more widespread in a joint family. This leads to the formation and development of the best personality of the family members. Personality traits develop naturally.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...