अनासक्ति
सादगी की राह पर अपने कदम बढ़ाने के लिए अपरिग्रह जरुरी है और इसके लिए अनासक्ति का भाव जरूरी है। इस संसार में रहते हुए यह इतना आसान नहीं है; क्योंकि इस संसार में भाँति-भाँति की चीजें हमें आकर्षित करती हैं, प्रलोभन देती हैं। हमारा मन भी उन्हें पाने के लिए बेचैन हो उठता है, भले ही वे हमारे लिए बहुत उपयोगी न हों, लेकिन हमें उन्हें प्राप्त करने का मन तब भी करता है। यदि सादगी की राह पर चलना है, तो हमें अपने अंदर विवेक जाग्रत करना होगा, तभी हम अनासक्ति की ओर अपने कदम बढ़ा सकेंगे और गैरजरूरी चीजों की ओर से अपने मन को हटा सकेंगे।
Aparigraha is necessary to move forward on the path of simplicity and for this a sense of non-attachment is necessary. It's not that easy living in this world; Because various things in this world attract us, tempt us. Our mind also gets restless to get them, even though they are not very useful for us, but we still feel like getting them. If we want to walk on the path of simplicity, then we have to awaken the conscience within us, then only we will be able to move our steps towards non-attachment and remove our mind from unnecessary things.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...