जीवन की सार्थकता
विकास के मॉडल के तहत गंगा-यमुना प्रदूषित हो गई हैं। चीन की पीली नदी साल के २२६ दिन सागर तक नहीं पहुँच पा रही। प्रदूषित जल, वायु एवं मृदा के कारण फल, शाक व अन्न से लेकर दूध तक विषाक्त तत्वों से भरते जा रहे है। अतएव आज के परिप्रेक्ष्य में मानवीय विकास की सर्वथा नूतन व्याख्या अपेक्षित है, जो एकाकी आर्थिक प्रगति एवं मूल्यविहीन भोगवादी संस्कृति से मुक्त हो। जिसमें व्यक्ति भूख, गरीबी एवं मानवीय शोषण के दंश से पीडित न हो। वह प्रकृति के साथ सामंजस्य-संतुलन बिठाते हुए प्रगति पर अग्रसर हो सके। यह वस्तुतः तभी संभव है, जबकि हम यह समझ सकें कि भारतमाता ग्रामवासिनी है और जीवन की सार्थकता अध्यात्मोन्मुखी होने में है।
Ganga-Yamuna have become polluted under the model of development. China's Yellow River does not reach the ocean for 226 days of the year. Due to polluted water, air and soil, from fruits, vegetables and grains to milk are getting filled with toxic elements. Therefore, in today's perspective, a completely new interpretation of human development is required, which is free from lonely economic progress and valueless indulgent culture. In which the person does not suffer from the bites of hunger, poverty and human exploitation. May he move ahead in harmony with nature. This is actually possible only when we can understand that Mother India is a villager and the meaning of life lies in being spiritually oriented.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...