आत्मविश्लेषण
जीवन-साधना एक प्रकार का तप है। नित्य आत्मविश्लेषण, सुधार तथा सत्प्रवृत्तियों को बढाते चलने के क्रम को जारी रखा जाए तो प्रगति का लक्ष्य प्राप्त होकर ही रहेगा। दुष्प्रवृत्तियों से अपने को बचाते रहने की संयमशीलता किसी को भी महानता के उच्च शिखर पर पहुँचा सकती है। समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी चारों सद्गुण अपने व्यक्तित्व के अंग बन जाने चाहिए। जो जीवनसाधक है, वह व्यक्ति दूसरों के दुःख बाँटता है, सुख बाँटता है। जीवन-साधना इसी स्तर पर सधती चलती है। जीवन को सार्थक बनाने के लिए जीवन-साधना के विशेष कार्यों को सतर्कतापूर्वक अपना ही चाहिए।
The practice of life is a kind of penance. If the process of continuous self-analysis, improvement and increasing the tendencies is continued, then the goal of progress will be achieved. The restraint of protecting oneself from evil tendencies can take one to the highest peak of greatness. Wisdom, honesty, responsibility and bravery should become a part of one's personality. The person who is a life seeker, shares the sorrows of others, shares the happiness. The practice of life continues on this level. To make life meaningful, special tasks of life-sadhana should be done carefully.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...