मानवीय संकट
हम सब जिस सामाजिक, राष्ट्रीय एवं मानवीय संकट से गुजर रहे हैं, उसकी जड़ में जीवन-मूल्यों का संकट ही है। सद्गुणों, सत्प्रवृत्तियों को सुविकसित होने के लिए, उन्हें फैलने के लिए आजादी मिलना ठीक है। पर साथ ही दुर्गुणों, दुष्प्रवृत्तियों का दमन-नियन्त्रण भी उतना ही जरूरी है। सच तो यह है कि इस नियन्त्रण की आवश्यकता और भी अधिक है। क्योंकि आज की परिस्थितियों में बाहुमूल्य दुष्प्रवृत्तियों का हो चला है। सत्प्रवृत्तियाँ तो किसी अनजाने कोने में जा छुपी हैं।
The social, national and human crisis that we all are going through is at the root of the crisis of life-values. For virtues and good tendencies to be well developed, it is good to give them freedom to spread. But at the same time, suppression and control of bad qualities and bad tendencies is equally important. The truth is that the need for this control is even greater. Because in today's circumstances valuable bad tendencies have happened. Good tendencies are hidden in some unknown corner.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...