मार्गदर्शन
परमात्मा ने हमारे मार्गदर्शन एवं कर्तव्यों की प्रेरणा करने के लिये ही सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान दिया था। हमारे पूर्वज ऋषियों व विद्वानों ने वेद व इसके सत्य अर्थों की रक्षा की और इस कल्प में हमारी आत्मा लगभग 1.96 अरब वर्षों की यात्रा करते हुए वर्तमान जीवन तक पहुंचें हैं। इस रहस्य का ज्ञान कराने में महर्षि दयानन्द जी का बहुत बड़ा योगदान है। हम सब उनके ऋणी हैं। उन्हीं के कारण हम अपने इस जीवन में वेद, सत्यासत्य कर्मों के स्वरूप सहित धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष प्राप्ति के उपाय ईश्वरोपासना, अग्निहोत्र व सदाचरण आदि को जान सके हैं। हमें सुख व प्रसन्नता आदि को भी अनुभूतियां प्राप्त होती हैं वह सब ईश्वर हमें हमारे ज्ञान एवं कर्मों के अनुरूप प्रदान करते हैं।
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...