औसत आयु
मनुष्य की औसत सक्षम आयु ७० वर्ष मान ली जाए, तो उसे जीवन में प्रकृतिप्रदत्त १, ०८, ८६, ४०,०००० अर्थात एक अरब आठ करोड़ छियासी लाख चालीस हजार साँसे ही मिली हुई हैं। इनमें यदि एक-एक इकाइयाँ यों ही कम होती जाएँ तो जीवन की पूँजी एक दिन चूक जाती है। उस समय यमराज के मृत्युदूत कालपाश लेकर लेने आ जाते हैं। उसके साथ-साथ व्यक्ति पीछे मुड़कर देखता है तो उसे ज्ञात हो जाता है कि उसने कितनी बेदर्दी से साँसों को खर्च किया और समय को गँवाया है या उसके एक-एक कण व एक-एक क्षण का सदुपयोग किया है।
If the average age of a human being is assumed to be 70 years, then he has got only 1, 08, 86, 40,000 breaths in his life, that is, one billion eight crore eighty-six lakh forty thousand breaths. In these, if each and every unit goes on decreasing, then one day the capital of life is missed. At that time the death messengers of Yamraj come to take Kalpash. Along with that, when a person looks back, he comes to know that how mercilessly he has wasted his breath and time or has utilized every particle and every moment of it.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...