धर्म-मान्यता
देवता और पितरों के नाम पर उनकी आत्मा की तुष्टि एवं कीर्ति बनाए रखने के लिए स्मारक के रूप में वृक्षों की स्थापना भी धर्म-मान्यता में सम्मिलित है। अपने पूर्वपुरुषों की स्मृति में अमीर लोग धर्मशाला, मंदिर, पुस्तकालय, कुआँ, तालाब आदि बनाते हैं। सर्वसाधारण के लिए यह भमि की पुकार है कि सरलता किन्तु लाभदायक स्मारक के रूप में फलदार वृक्षों का आरोपण करें। पूर्वजों की अथवा अपनी स्मृति के रूप में कई लोग बड़, पीपल, आँवला आदि वृक्ष लगाते हैं। इसमें अन्नक्षेत्र की तरह कितने ही प्राणियों को पोषण और कितनों को ही धर्मशाला की तरह आश्रय मिलता है।
Establishment of trees in the name of gods and ancestors as a memorial to maintain their soul's satisfaction and fame is also included in religious belief. Rich people build dharamsalas, temples, libraries, wells, ponds etc. in the memory of their ancestors. It is the call of the land for the common man to plant fruit trees as a simple yet profitable monument. Many people plant trees like Bada, Peepal, Amla etc. as the memory of their ancestors. In this, how many living beings get nourishment like the grain field and only some get shelter like a dharamsala.
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धर्म का ज्ञान धन तथा काम में अनासक्त मनुष्य ही धर्म को ठीक-ठीक जान सकता है। धर्म की सबसे बड़ी कसौटी वेद है। जो धर्म के रहस्य तथा सार को जानना चाहते हैं, उनके लिए वेद परम प्रमाण हैं। अर्थात धर्म का स्वरूप व रहस्य जानने के लिए वेद ही परम प्रमाण है। Only a person who is not attached to money can know...
गरीब देश की गरीबी कोई अदृश्य या काल्पनिक नहीं थी और ना हि किसी ने उसे किताबों से निकालकर नारों की शक्ल दी थी। राजाओं के लिए तो मान्यता थी कि वे देश की गरीबी की परवाह नहीं करते थे और खुद की शहनशाही शान-शौकत और अय्याशी जनता के खर्च पर करते रहते थे। उनका तो जन्म ही महलों में रेशम की गुदडियों में और...